ज़माने की नजरो से बच कर
उनको हम यु निहारा करते है |
कहीं नज़र न लग जाये हमारी
ये सोच के घबराया करते है |
अपनी नजरो को न काबिल समझते है उनके
मगर, दिल में बसने के सपने सजाया करते है |
मरते है हम उनकी एक हँसी पे,
मरते है हम उनकी एक अदा पे,
मगर दिल के ये एहसास
ज़ुबा से छुपाया करते है
डरते है ज़माने के, नापाक इरादों से
इस दुनिया के इन अजब रिवाजो से
करते है महोबत, इकरार से कतराया करते है
बस यु ही छुपा कर दिल में उन्हें
इस अशिकी का माजा लिया करते है
दुनिया की नजरो से बच कर
अपनी महोबत का दीदार किया करते है