यु ही एक पल जिंदगी का
और बीत जाएगा
जिंदगी की दौड़ में दौड़ते दौड़ते
एक रोज भी थक जाएगा
लेकिन आँखों में
ये खवाबो का करवा
नहीं रुकने वाला
होटो पे आती खावाहिशो का
ये सिलसिला नहीं
थमने वाला
एक ख्वाब कल फिर कहीं
इन आँखों में सज जाएगा
फिर एक अरमा कोई
इस जुब़ा पे आ जाएगा
बस दो चार लम्हों की है ये जिंदगी
जीले अपने खवाबो ...
अपनी खावाहिशो को अभी
ये वक़्त ये पल के फिर नहीं आएगा