वो दूर है हम से
खफा खफा
रुसवा से बैठे है
एक तरफ हम दिल में
दीदार की उम्मीद लिए बैठे है
महफ़िल में आज भी सुनी है
उनके दीदार के बिना
हम रह में उनकी इंतज़ार
के चिराग जलाये बैठे है
वो आ सके मेरे दर तक
रोशन हर रह किये बैठे है
इंतज़ार की शमा में
हम खुद को जलाये बैठे है
और वो दूर हम से
खफा हुए बैठे है