Friday, July 29, 2011

वो दूर हम से

वो दूर है हम से 
खफा खफा
रुसवा से बैठे है
एक तरफ हम दिल में
दीदार  की उम्मीद लिए बैठे है

महफ़िल में आज भी सुनी है
उनके दीदार के बिना 
हम रह में उनकी इंतज़ार
के चिराग जलाये बैठे है

वो आ सके मेरे दर तक
रोशन हर रह किये बैठे है 
इंतज़ार की शमा में 
हम खुद को जलाये बैठे है

और वो दूर हम से 
       खफा हुए बैठे है      

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