Tuesday, May 28, 2013

नादां ये दिल

जिंदगी  के उस अंजन सफ़र पर
कुछ नादानीया हम कर गए  
वक़्त के उस तीख़े मोड़ पे 
जो  दिल को घायल कर गए 

भुला के ये सारी दुनिया 
उस धूल को पाने चल दिए 

न होश था, न कोई खबर थी 

क्या होगा अंजाम किस को 
फिकर थी 

बस एक जुनून था 

जिसे दिल में लिए चल दिए  थे 
दिल की एक नादाँ खवाहिश  
पूरी कर चल दिए थे 



भूल गए थे,ये दिल धोकेबाज  है 
आज है मेरे सीने में 
कल किसी और का मेहमान है 
भूल  गए थे, ये दिल बड़ा बदमाश है  

लेकिन जब होश आया 

देर हो गयी थी 
समय की कुछ हसीन कड़िया 
हाथ से गिर गयी थी 


कुछ यादें थी 
जो अब दर्द की दास्ताँ बन गयी थी 
पर दिल की वो खवाहिश 
अब तक पूरी न हुई थी 


कई ज़ख़्म खाए 
कई दिल तोड़े  है 
उन नादानियो के साथ 
न जाने कितने अश्क पिरोये  है 

अब वक़्त आया है

ये दिल कुछ संभला है
धुल के गुबार को भूल कर
हकीकत को पाने चल निकला है

लेकिन नादाँ ये दिल

अब भी बेफिक्रा है
नादानीया करते अब भी नहीं थकता है 



और अनजाने में इस दिल 
के खातिर हम कितनी 
नादानीया कर गए 

2 comments:

  1. Shukriya.. Aur pandey ji aap kaise hai... life ka MATTER kaisa chal raha hai..

    ReplyDelete