कतरा कतरा लहू का
तू मुझ से जुदा कर दे
तू चाहे मेरी रूह को
धुएं में फ़ना कर दे
हर जर्रे जर्रे में मेरे जिस्म के
तू चाहे ज़ख्म दे दे
बस दिल में हैं एक टुकड़ा याद का
मेरे उस पाक सनम का
तू चाहे कर लाख सितम मुझ पर
उस टुकड़े पे रहम कर दे ....
उस टुकड़े पे रहम कर दे...
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