Monday, April 22, 2013

ये पल

यु  ही एक पल जिंदगी का 
और बीत जाएगा 

जिंदगी की दौड़ में दौड़ते दौड़ते
एक रोज  भी थक जाएगा 

लेकिन आँखों में 
ये खवाबो का  करवा 
नहीं रुकने वाला 

होटो  पे आती खावाहिशो का  
ये सिलसिला नहीं 
थमने वाला 

एक ख्वाब कल फिर कहीं 
इन आँखों में सज जाएगा 

फिर एक अरमा कोई 
इस जुब़ा पे आ जाएगा

बस दो चार लम्हों की है ये जिंदगी 
जीले अपने खवाबो ... 
अपनी खावाहिशो को अभी

ये वक़्त ये पल  के फिर नहीं आएगा  


2 comments:

  1. jhamnani ji apki sayari ka koi jawab nahi......

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    1. Thanx ... but sorry i didn't recognize u. Do i know i u ?

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