Monday, December 17, 2012

मेरा बचपन


जिंदगी की इस रफ़्तार में 
न जाने वो बचपन कहाँ गम हो गया 
पता ही न चला 

पैदल दोड़ते दोड़ते  
वो गलियां कहाँ रह गयी 
पता ही न चला 

कब साईकल  की रेस  की जगह 
मोटर साइकिल  के स्टंट ने ले ली 
पता ही न चला 

कब स्कूल  की कैंटीन की जगह  
mcD और pizza hut ने ले ली 
पता ही न चला 

और इस भीड़ में चलते-चलते  
मेरा बचपन कहाँ गुम  हो गया 
पता ही न चला 

याद आती है, अब भी वो 
हिंदी संस्कृत और GRAMMER की CLASSES  
वो पहाड़े रटना 
और वो homework  से डरना 

सुबह  की पहली घंटी से बचना  
और आखरी PERIOD की घंटी 
को तरसना  

जब स्कूल जाना ,  रोज नया adventure होता था 
पढना-लिखना तोह बस खेल था 
आसली मज़ा interval में होता था 

कब किताबो  के उस भोझ ने 
मेरी मासूमियत छीन ली 

पता ही न चला  
और इस भीड़ में मेरा बचपन 
 कहाँ गुम  हो गया 
पता ही न चला 

कब मेरे स्कूल बैग की जगह  
ऑफिस के BRIEFCASE ने ले ली  
पता ही ना चला 

कब मेरे MARKS  की COUNTING  की जगह 
मेरे TARGETS ने ले ली  
पता ही न चला 

अन रिंकी , पिंकी और जूही 
रोज घर खेलने नहीं आती 
सब FACEBOOK , TWITTER और LINKED-IN  पे BUSSY है 


कब SATURDAY NIGHT के GAMES की जगह 
DISCOS और RAVE-PARTIES ने ले ली
पता ही न चला 

और इस नई दुनिया की 
चका-चोंध में 
कब मेरा बचपन गुम हो गया 
पता ही न चला 
  

अब उस दो-रुपये की TOFFEE 
शायद अब आंसू नहीं बहाया करते ... 
दिल भी गर , टूट जाये तोह अब बहाने 
नहीं बनाया करते 

अब खेलने के लिए और खिलोने नहीं चाहिए  
दिल, जज्बात और EMOTIONS बहुत है 

प्यार महज अब हमारे लिए 
फिल्म का एक DIALOG नहीं है 
हम तोह रोज प्यार में गोते लगाया करते है 

घर-घर के उस खेल में 
अब गुड्डे-गुडिया नहीं नाचते  
हम अपनी ताल पे 
जिंदगी की नचाया करते है  

और जिंदगी के साथ यु ही नाचते-नाचते 
कब मेरा बचपन गुम  हो गया 
पता ही न चला 

और यु ही खड़ा अब भी कभी 
पीछे मुड के देखता हूँ 
मुझे मेरा बचपन याद आता है 
अपनी शरारते, वो नादानी , वो जूनून याद आता है 


Thursday, September 20, 2012

दिल की बात


मेर जां मेरी जां 
जरा  सुन लो  मेरी बात 
मेरी दिल की कहानी 
मेरे दिल के जज्बात 

ज़रा देख इधर 
मान लो मेरी बात 
ज़रा सुन तोह सही 
क्या है इस दिल का हाल 

अब, ऐसे ना रूठो
ज़रा तोह करो बात 
कहने दो मुझे 
मेरी दिल की बात 

ना रोको,  ना तोको 
ना काटो मेरी बात 
 है जो मेरे दिल में 
ज़रा महसूस कर वो एहसास 

कहीं रह ना जाऊ 
कहीं मार ना जाऊ 
बड़े नाजुक बड़े, बड़े संगीम है 
मेरे हालत 

दिल में बसे इस प्यार 
को आज बेरोक बह जाने दे 
आँखों में बसे उस खवाब को
आज जुबा पे आने दे 

अब जो तेरा हो फैसला 
कबूल है मुझे 
हर गम ,हर शिकायत तेरी अब 
मंज़ूर है मुझे 

बस एक बार 
मान लो मेरी बात 
सुन ले मेरी 
ये आखरी फरियाद 
कहने दे मुझे 
मेरी दिल की बात 

Sunday, August 26, 2012

जिंदगी

रूठी इस जिंदगी को 
मानाने की कोशिश कर रहा हूँ 

मैं बंजर इस रेत पे 
गुलिस्तान सजाने की कोशिश कर रहा हूँ

माना मुशकिल है चट्टान में रस्ते बनाना 
मै हर रोज एक नयी कोशिश कर रहा हूँ

ना जाने कहाँ 
किस जहाँ में छिपी है वो 

ना जाने कहाँ 
किस जहाँ में छिपी है वो

मैं अपनी जिंदगी, अपनी ख़ुशी
दूंढ रहा हूँ 

रूठी अपनी जिंदगी को मानाने की 
कोशिश कर रहा हूँ

Saturday, July 7, 2012

लम्हे

कुछ लोग जिंदगी में 
हसीन लम्हों की तरह आते है

बस, दो पल का सुकून 
दो पल की ख़ुशी दे जाते है 
यादो के ढेर में 
मुठी भर यादें, डाल जाते है 
दिल की दीवारों पे 
अपने निशान बना जाते है 

कुछ  लोग जिंदगी में
बस हसीन लम्हों की तरह आते है

सोचा था की इस लम्हे को 
यहीं कैद कर लू
भर लू इसे बाहों में
और इसे मैं अपना कर लू 

पर वक़्त की इन मौजो को 
कुछ और ही मंजूर है 
बहा ले गयी उन लम्हों को 
जिन पर हम को गुरुर है

अब दिल में उन बीते लम्हों 
के बस निशान बाकि है 
हसीन उन लम्हों की 
बस याद बाकि है 

Wednesday, June 6, 2012

मेरी महोबत


ज़माने की नजरो से बच कर 
उनको हम यु निहारा करते है |

कहीं नज़र न लग जाये हमारी 
ये सोच के घबराया करते है |

अपनी नजरो को न काबिल समझते है उनके 
मगर, दिल में बसने के सपने सजाया करते है |

मरते है हम उनकी एक हँसी पे,
मरते है हम उनकी एक अदा पे, 

मगर दिल के ये एहसास 
ज़ुबा से छुपाया करते है 

डरते है ज़माने के, नापाक इरादों से 
इस दुनिया के इन अजब रिवाजो से 

करते है महोबत, इकरार से कतराया करते है 

बस यु ही छुपा कर दिल में उन्हें
इस अशिकी का माजा लिया करते है 
दुनिया की नजरो से बच कर 
अपनी महोबत का दीदार किया करते है 

Wednesday, February 8, 2012

इकरार-ए-महोबत



  यु तोह    
इन आँखों से कुछ कहना 
मुश्किल है
मेरी ये निगाहे क्या कहती है 
सुन ज़रा 

यु तोह 
इस दिल के एहसास बयां करना 
मुश्किल है
मेरी ये धड़कन क्या कहती है 
सुन ज़रा 

बस एक बार सुन ले 
मेरे दिल की दास्ताँ

यु तोह 
लाब्जो में भी कहना 
मुश्किल है 
मेरी ये सांसे क्या कहती है 
सुन ज़रा 

मेरी हर पुकार 
हर ख्याल 
हर अरमान
तेरे लिए है 

मेरा हर पहर 
हर सेहर 
हर लम्हा 
तेरे लिए है 

बस एक बार मुझे 
मुड़ के देख तोह सही 

यु तोह 
खामोश  रह कर कुछ कहना 
मुश्किल है 
मेरी ये ख़ामोशी क्या कहती है 
सुन ज़रा 

तेरे खवाबो 
तेरे खयालो, में हर दम 
खोया रहता हूँ 

तुझे पाने की आरज़ू 
दिल में लिए 
तेरी दीवानगी में डूबा रहता हूँ 

बस एक बार मेरे 
दिल के एहसास समझ तोह सही 

यु तोह 
एक नज़र में महोबत करना 
मुश्किल है 
मेरी ये आशिकी क्या कहती है 
सुन ज़रा